*ओमप्रकाश बच्चा का जाना भोजपुरी साहित्य व रंगकर्मियों के लिए अपूरणीय क्षति*
*बी.पी.मिश्र-रिपोर्टर,*
गोरखपुर । जनपद के जाने माने रंगकर्मी, भोजपुरी लेखक,नौटंकी में महारथ,नब्बे के दशक में गोरखपुर दूरदर्शन से प्रसारित होने वाले देश का पहला हास्य भोजपुरी सीरियल "मनबढ़" के लेखक ओम प्रकाश श्रीवास्तव बच्चा का बुद्धवार को ललित नारायण रेलवे अस्पताल में 11.00 बजे सुबह स्वर्गवास हो गया । कला क्षेत्र के लिए एक अपूर्णीय क्षति है जिस स्थान को कभी पूरा नहीं किया जा सकता है । ईश्वर उनकी पूण्यात्मा को शांति एवं उनके शोक संतप्त परिवार को असमय वेदना को सहन करने की शक्ति प्रदान करें ।
भोजपुरी में माटी से जुड़ी बातों को बखूबी जानते थे । हर गंभीर विषय को हास्य के जरिए प्रस्तुत कर देते थे । भोजपुरी में उनकी अच्छी पकड़ थी उनके द्वारा रचित मूरख मरद,बड़मनया नौटंकी मशहूर था । रंगकर्मी प्रदीप जायसवाल और बेचन सिंह ने कहा अभी उनसे रविवार को मुलाकात हुई थी और जितनी देर बैठे थे । नाटक ,कहानी,अभिनय पर ही चर्चा कर रहे थे बीच मे भाउक भी हुए जैसे उनको अंदेशा हो गया था कि बहुत जल्द बुलावा आने वाला है इस पर हम सभी लोग समझाए भी कि ए सब नहीं सोचा जाता है । रंगकर्मी मानवेंद्र त्रिपाठी ने कहा हम लोग उन्हें बच्चा भैया कहते थे । हृदय से भी बच्चे के समान सरल निश्चल हंसमुख व्यक्तित्व । बाबू बाबू कह कर सबको बुलाते थे । गीत संगीत उनकी आत्मा में बसा हुआ था । नौटंकी शैली की एक महारत हासिल थी । बहुत कुछ करने की कोशिश लगातार उनके अंदर बनी रही । लंबी बीमारी से लड़ते जूझते रहे । अध्यात्म उनके रग-रग में बसा हुआ था । बैठे-बैठे गीतों का निर्माण कर देते थे । अद्भुत प्रतिभा के धनी थे बच्चा भैया । गोरखपुर दूरदर्शन के लिए मनबढ़ सीरियल एक कालजई प्रस्तुति है । ऐसे लोगों का नश्वर शरीर हमसे दूर होता है मगर ताउम्र वह यादों में जीवित रहते हैं । ईश्वर उनको अपने चरणों में स्थान दे। रंगकर्मी विवेक श्रीवास्तव ने कहा अभी हाल ही में उनके द्वारा लिखित नौटंकी "मूरख मरद" का मंचन किया जो काफी प्रभावशाली रहा लोगों ने इसे बहुत पसंद किया आगे भी उनके द्वारा लिखित नौटंकी करने का विचार बन रहा था वह अपनी और रचनाओं को देने के लिए तैयार थे लेकिन बीच में ही यह दुखद घटना घट गया जो दर्शक एक अच्छी और नई प्रस्तुति देखने से वंचित रह गए ।
अशोक महर्षि ने कहा र॑गमच पर अभिनय की शुरुआत मेंरे निर्देशन में नाटक दुलारी बाई में एक प्रमुख भूमिका में अपनी एक अलग पहचान बनाई एक बेहतरीन लेखक, कवि, गीतकार के साथ गायक के रुप में ओम प्रकाश बच्चा सभी के साथ बहुत ही लोकप्रिय रहे, भोजपुरी में पहला धारावाहिक " मनबढ़ " के लेखक के रूप में जो राष्ट्रीय स्तर पर कार्य किया वो जगजाहिर है, नौटंकी शैली का सुरज आज हमलोगों का साथ छोड़ कर सदा सदा के लिए अस्त गया ।कुमार हर्ष ने कहा यह पिछली सदी के आखिरी दशक की बात है । हम लोगों को सरकार की लोक कल्याणकारी योजनाओं पर एक डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म बनाने का प्रस्ताव मिला था । तय हुआ कि इसे नीरस वृत्तचित्र बनाने की बजाय रुचिकर बनाया जाए । हम सबने डॉ चंद्रभूषण अंकुर, उत्कर्ष ,प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी अनिल कुमार सिंह आदि गहन विमर्श के बाद इसे डॉक्यू ड्रामा बनाने का फैसला किया। ओमप्रकाश बच्चा तब लोकप्रियता की बुलंदियों पर थे मगर इस प्रोजेक्ट में न केवल बाखुशी शामिल हुए बल्कि मनबढ़ के कई नामी कलाकारों को भी जोड़ाक्ष। अपने के गढ़ss, आगे बढ़ss' शीर्षक वाला यह प्रोडक्शन जबरदस्त कामयाब रहा और अपनी श्रेणी में इसने यूपी में पहला पुरस्कार भी जीता । इन सब मे श्रेय के सबसे बड़े हक़दार निस्संदेह बच्चा ही थे।
राजेश राज,प्रेम प्रकाश पराया,शैलेष श्रीवास्तव,अजीत प्रताप सिंह,रविंद्र रंगधर ने कहा बच्चा जी के कला जगत की काबलियत की इस खाई को पाटना बहुत मुश्किल है ।
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