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लॉक डाउन में कला, संगीत और साहित्य का सहारा*मो सज्जाद बिहार ब्यूरो*कोरोना जैसी महामारी से लड़ने के लिए लॉक डाउन बना सहारा । सामान्य लोगों को महामारी से बंचने के लिए घर के अन्दर रहना पड़ रहा है । आमजन घर में रहने को विवश हो गए । घर से बाहर नहीं निकलना बोरियत का काम हो गया । लेकिन कोरोना में सरकारी तन्त्र में काम कर रहे पदाधिकारियों एवं चिकित्सकों की नींद उड़ी हुई है । दिनरात वे लोग तनाव में जीने के लिए विवश हैं । ऐसे समय में खुद पदाधिकारीगण अपने परिवार के सदस्यों को कला और संगीत के साथ अनुशासित जीवन बिताने की सीख दे रहे हैं । कोरोना के संकटकाल में ऐसे पदाधिकारी दूसरे लोगों के समक्ष एक अनुशासित जीवन जीने और कला, संगीत के प्रति आकर्षित होने की सीख दे रहे हैं । 1986 बैच के आई.आर.एस. और भारत सरकार के सचिव स्तर के पदाधिकारी हैदराबाद के प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर -इनकमटैक्स श्री अतुल प्रणय कहते हैं कि मुझे बचपन से ही संगीत और संस्कृत साहित्य की पुस्तकों को पढ़ने में रुचि रही है । वर्त्तमान कोरोना काल में विभागीय कामों से जभी अवकाश मिलता है तो संगीत और पुस्तकों के अध्ययन में समय अच्छी तरह बीत जाता है और तनाव से मुक्ति मिलती है इसी प्रकार मोतिहारी के वर्त्तमान जिलाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक खुद तो सबेरे उठने के साथ ही तैयार होकर क्षेत्र में एक कोरोना योद्धा की भूमिका में निकल पड़ते हैं । आवास में पत्नी श्रीमती तेजस्विनी कपिल अपने छोटे बच्चे के साथ रहती हैं । खास बात यह है कि बच्चा को संभालने के साथ ही श्रीमती कपिल इस लॉक डाउन के समय में मधुबनी पेन्टिंग बनाती हैं और वह भी उच्च दर्जे की । ध्यान देनेवाली बात है कि जब वह मधुबनी में थी तब उनके पति शीर्षत कपिल अशोक ने मधुबनी पेन्टिंग को एक नए मुकाम तक पहुंचाने का भरपूर प्रयास किया और आज भी कोई दिन ऐसा नहीं जब कलाप्रेमी उन्हें याद न करते हों । इस प्रकार तेजस्विनी कपिल भी अपने पति के अनुकूल ही इस विख्यात चित्रकला को अपना चुकी हैं और एक सिद्धहस्त कलाकार जैसा काम कर रही हैं.लॉक डाउन में अपने समय का सदुपयोग सुपौल ज़िला में पदस्थापित बिहार सरकार के वरीय उपसमाहर्ता स्तर के पदाधिकारी बीरपुर अनुमण्डल के लोकशिकायत निवारण पदाधिकारी श्री नवीन कुमार का पूरा परिवार कर रहा है । नवीन कुमार स्वयं मधुबनी चित्रकला पर एक पुस्तक लिख रहे हैं । उन्होंने कहा कि मिथिला पेन्टिंग की आत्मा को बंचाने और लोगों को इस महान पेन्टिंग की सांस्कृतिक आत्मा के बारे में बताने के लिए पुस्तक लिख रहे हैं । इनकी पत्नी भी इस महामारी के समय घर से बाहर नहीं निकलती हैं और लॉक डाउन का अक्षरशः पालन करते हुए मधुबनी पेन्टिंग में अपना समय व्यतीत करती हैं । नवीन कुमार का बड़ा बेटा तेजस्वी आर्यन छठे वर्ग का छात्र है । वह कपड़े पर आधुनिक चित्रकला का काम कर रहा है । टीशर्ट पर वह सुन्दर पेंटिंग करता है । तेजस्वी का छोटा भाई यशश्वी नकुल संगीत एवं मधुबनी पेन्टिंग जैसे रचनात्मक कामों में अपना समय व्यतीत कर रहा है । साथ ही दोनों भाई अपने पिता से मोबाइल फोटोग्राफी भी सीख रहे हैं ।संगीत के माध्यम से डॉक्टर भी अपने तनाव को कम कर कोरोना वारियर की भूमिका निभा रहे । मधुबनी के पंडौल अस्पताल प्रभारी डॉ. एस.एस. झा बताते हैं कि वैसे तो हम चौबीस घण्टे ही सतर्क रहते हैं और अपनी ड्यूटी बखूबी निभा रहे हैं लेकिन जैसे ही कभी अवसर मिल जाता है तो पुराने गीत-संगीत और पुस्तकों के साथ अपना समय बिता लेते हैं । इससे तनावमुक्त होने में मदद मिलती है । इसी प्रकार गुरुग्राम स्थित पारस चेस्ट इंस्टिट्यूट, पारस अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ.अरुणेश कुमार अस्पताल से घर आकर पहले कुछ देर कोरोना चिकित्सा के वातावरण से मुक्त हो गीत-संगीत का आनन्द लेते हैं । उन्होंने कहा कि इससे ड्यूटी के दौरान उत्पन्न तनाव से शीघ्र ही मुक्ति मिलती है ।इस प्रकार हमने कुछ ऐसे लोगों को देखा जो सब प्रकार से समर्थ होते हुए भी लॉक डाउन का अपने घर में ही पालन करते हैं । अगर इनके परिवार के लोग चाहते तो किसी बहाने घर से बाहर भी निकल सकते थे । लेकिन ऐसे लोगों का व्यवहार ऐसा है जो आमलोगों के लिए एक उदाहरण पेश करता है । घर में बन्द रहना वास्तव में एक जटिल बात है लेकिन ये लोग उस जटिलता और समस्यापूर्ण वातावरण में कला और संगीत के माध्यम से पूरे समाज को एक सकारात्मक सन्देश दे रहे हैं ।

लॉक डाउन में कला, संगीत और साहित्य का सहारा

*मो सज्जाद बिहार ब्यूरो*

कोरोना जैसी महामारी से लड़ने के लिए लॉक डाउन बना सहारा । सामान्य लोगों को महामारी से बंचने के लिए घर के अन्दर रहना पड़ रहा है । आमजन घर में रहने को विवश हो गए । घर से बाहर नहीं निकलना बोरियत का काम हो गया । लेकिन कोरोना में सरकारी तन्त्र में काम कर रहे पदाधिकारियों एवं चिकित्सकों की नींद उड़ी हुई है । दिनरात वे लोग तनाव में जीने के लिए विवश हैं । ऐसे समय में खुद पदाधिकारीगण अपने परिवार के सदस्यों को कला और संगीत के साथ अनुशासित जीवन बिताने की सीख दे रहे हैं । 
कोरोना के संकटकाल में ऐसे पदाधिकारी दूसरे लोगों के समक्ष एक अनुशासित जीवन जीने और कला, संगीत के प्रति आकर्षित होने की सीख दे रहे हैं । 1986 बैच के आई.आर.एस. और भारत सरकार के सचिव स्तर के पदाधिकारी हैदराबाद के प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर -इनकमटैक्स श्री अतुल प्रणय कहते हैं कि मुझे बचपन से ही संगीत और संस्कृत साहित्य की पुस्तकों को पढ़ने में रुचि रही है । वर्त्तमान कोरोना काल में विभागीय कामों से जभी अवकाश मिलता है तो संगीत और पुस्तकों के अध्ययन में समय अच्छी तरह बीत जाता है और तनाव से मुक्ति मिलती है 
इसी प्रकार मोतिहारी के वर्त्तमान जिलाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक खुद तो सबेरे उठने के साथ ही तैयार होकर क्षेत्र में एक कोरोना योद्धा की भूमिका में निकल पड़ते हैं । आवास में पत्नी श्रीमती तेजस्विनी कपिल अपने छोटे बच्चे के साथ रहती हैं । खास बात यह है कि बच्चा को संभालने के साथ ही श्रीमती कपिल इस लॉक डाउन के समय में मधुबनी पेन्टिंग बनाती हैं और वह भी उच्च दर्जे की । ध्यान देनेवाली बात है कि जब वह मधुबनी में थी तब उनके पति शीर्षत कपिल अशोक ने मधुबनी पेन्टिंग को एक नए मुकाम तक पहुंचाने का भरपूर प्रयास किया और आज भी कोई दिन ऐसा नहीं जब कलाप्रेमी उन्हें याद न करते हों । इस प्रकार तेजस्विनी कपिल भी अपने पति के अनुकूल ही इस विख्यात चित्रकला को अपना चुकी हैं और एक सिद्धहस्त कलाकार जैसा काम कर रही हैं.
लॉक डाउन में अपने समय का सदुपयोग सुपौल ज़िला में पदस्थापित बिहार सरकार के वरीय उपसमाहर्ता स्तर के पदाधिकारी बीरपुर अनुमण्डल के लोकशिकायत निवारण पदाधिकारी श्री नवीन कुमार का पूरा परिवार कर रहा है । नवीन कुमार स्वयं मधुबनी चित्रकला पर एक पुस्तक लिख रहे हैं । उन्होंने कहा कि मिथिला पेन्टिंग की आत्मा को बंचाने और लोगों को इस महान पेन्टिंग की सांस्कृतिक आत्मा के बारे में बताने के लिए पुस्तक लिख रहे हैं । इनकी पत्नी भी इस महामारी के समय घर से बाहर नहीं निकलती हैं और लॉक डाउन का अक्षरशः पालन करते हुए मधुबनी पेन्टिंग में अपना समय व्यतीत करती हैं । नवीन कुमार का बड़ा बेटा तेजस्वी आर्यन छठे वर्ग का छात्र है । वह कपड़े पर आधुनिक चित्रकला का काम कर रहा है । टीशर्ट पर वह सुन्दर पेंटिंग करता है । तेजस्वी का छोटा भाई यशश्वी नकुल संगीत एवं मधुबनी पेन्टिंग जैसे रचनात्मक कामों में अपना समय व्यतीत कर रहा है । साथ ही दोनों भाई अपने पिता से मोबाइल फोटोग्राफी भी सीख रहे हैं ।
संगीत के माध्यम से डॉक्टर भी अपने तनाव को कम कर कोरोना वारियर की भूमिका निभा रहे । मधुबनी के पंडौल अस्पताल प्रभारी डॉ. एस.एस. झा बताते हैं कि वैसे तो हम चौबीस घण्टे ही सतर्क रहते हैं और अपनी ड्यूटी बखूबी निभा रहे हैं लेकिन जैसे ही कभी अवसर मिल जाता है तो पुराने गीत-संगीत और पुस्तकों के साथ अपना समय बिता लेते हैं । इससे तनावमुक्त होने में मदद मिलती है । इसी प्रकार गुरुग्राम स्थित पारस चेस्ट इंस्टिट्यूट, पारस अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ.अरुणेश कुमार अस्पताल से घर आकर पहले कुछ देर कोरोना चिकित्सा के वातावरण से मुक्त हो गीत-संगीत का आनन्द लेते हैं । उन्होंने कहा कि इससे ड्यूटी के दौरान उत्पन्न तनाव से शीघ्र ही मुक्ति मिलती है ।
इस प्रकार हमने कुछ ऐसे लोगों को देखा जो सब प्रकार से समर्थ होते हुए भी लॉक डाउन का अपने घर में ही पालन करते हैं । अगर इनके परिवार के लोग चाहते तो किसी बहाने घर से बाहर भी निकल सकते थे । लेकिन ऐसे लोगों का व्यवहार ऐसा है जो आमलोगों के लिए एक उदाहरण पेश करता है । घर में बन्द रहना वास्तव में एक जटिल बात है लेकिन ये लोग उस जटिलता और समस्यापूर्ण वातावरण में कला और संगीत के माध्यम से पूरे समाज को एक सकारात्मक सन्देश दे रहे हैं ।

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