अंतर्राष्ट्रीय महिला उन्मूलन दिवस
25 नवंबर को पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस मनाया जाता है। कुछ महिलाएँ आम तौर अपने जीवनकाल में आमतौर पर पुरुष साथी से शारीरिक या यौन हिंसा का अनुभव करती है। यह गहरे शारीरिक और मनोवैज्ञानिक घावों को संक्रमित करता है। सबसे खराब, लड़कियों और महिलाओं को बिना किसी सहारे या न्याय के छोड़ दिया जाता है, जिन्हें खतरे के नीचे जीवन यापन करने के लिए मजबूर किया जाता है।
यह दिवस महिलाओं पर हो रही हिंसा को रोकने के लिए लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से मनाया जाता है।लेकिन, क्या आपको मालूम है कि सिर्फ बिहार में ही पिछले एक दशक के दौरान महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा के 34 हजार से अधिक मामले दर्ज किये गये हैं। अगर रिकार्डो की बात की जाए तो महिला हेल्पलाइन में महिलाओं के खिलाफ दर्ज होने वाले अपराधों में यह सर्वाधिक है। एक सर्वे में पाया गया है कि 70 प्रतिशत महिलाएं अपने संपूर्ण जीवन काल में कभी न कभी हिंसा की शिकार होती हैं।
हमारे समाज में तो जन्म से पहले से ही कानून बना हुआ है।गर्भ में पल रही लड़की के बचाव के लिए भी कानून है। ताकि कोई इसे मारे नहीं, लेकिन कई बार अधिकार रहते हुए कानून कुछ नहीं करती। ऐसे में महिलाओं को सिर्फ अधिकार मिलने से कुछ नहीं होगा।प्रमिला कुमारी, प्रोजेक्ट मैनेजर, महिला हेल्प लाइन महिला हिंसा के खिलाफ कई तरह के बने हैं कानून महिला हिंसा में महिलाएं भी कई बार जिम्मेदार होती हैं। यह भी तथ्य है कि पढ़े-लिखे समाज में भी महिलाएं आज सबसे अधिक घरेलू हिंसा की शिकार हो रही हैं। शादी के बाद पति को लड़की सुंदर नहीं लगना, लड़की का रंग सांवला होना, गांव में लड़की पैदा होने पर महिलाओं को जान से मारने जैसे मामले रोज देखने को मिल रहे हैं।मॉडर्न लाइफ स्टाइल मेंटेन करने के कारण बच्चियां गलत चंगुल में फंस रही हैं।ऐसे में यौन हिंसा के मामले भी बढ़ रहे हैं।आम लोगों को भी जागरूक होने की जरूरत है।
लेकिन कहीं न कहीं समाज पीछे है।नये कानून भी सख्त बने हैं। फिर भी सिर्फ अधिकार और कानून बनने से कुछ नहीं होगा।आज भी कई मामले दर्ज नहीं किये जाते हैं। कानून होने के बावजूद वह अधिकार नहीं मिल पाता, जिसे लागू किया गया है।संयुक्त राष्ट्र ने महिलाओं के अधिकारों हेतु ‘ही फॉर सी’ नाम से एक वैश्विक अभियान की शुरुआत की है।25 नवंबर 1960 के दिन डोमिनिकन शासन के राजनैतिक कार्यकर्ता राफेल ट्रुजिलो के आदेश पर 3 बहनों पैट्रिया मर्सिडीज मिराबैल, मारिया अर्जेंटीना मिनेर्वा मिराबैल तथा एंटोनिया मारिया टेरेसा मिराबैल की बेहद क्रूर तरीके से हत्या कर दी गई थी। दरअसल, इन तीनों बहनों ने ट्रुजिलो की तानाशाही का विरोध किया था। 1981 से तीनों बहनों की मौत के बाद हर साल महिला अधिकारों के समर्थक इस दिन को श्रृद्धांजलि दिवस के रूप में मनाने लगे। 17 नवंबर 1999 को संयुक्त राष्ट्र ने 25 नवंबर का दिन अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस के रूप में घोषित कर दिया। वर्ष 2000 से हर साल 25 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस मनाया जाने लगा।
जिस भारत में कन्या को देवी के रूप में पूजा जाता है, वहीं उनके खिलाफ अपराध के आंकड़े गंभीर स्थिति में पहुंच चुके हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा 2007 से लेकर 2016 के बीच 10 सालों के जो आंकड़े जारी किए गए है, उन्हें देखकर पूरे देश का सिर शर्म से झुक गया है।एनसीआरबी यानि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा 2007-2016 के बीच महिला अपराध संबंधी जारी आंकड़े के मुताबिक, भारत में महिलाओं के खिलाफ क्राइम के मामले 83 प्रतिशत बढ़े हैं। शील भंग करने के प्रयास का मामला 119 प्रतिशत बढ़ गया है। वहीं, बलात्कार के मामलों की संख्या भी 83 प्रतिशत बढ़ी है। इसके अलावा पारिवारिक हिंसा और उत्पीड़न के मामले भी 45 प्रतिशत बढ़े हैं। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत में महिलाओं की स्थितिअत्यंनीय दयनीय है।
अगर देखा जाए तो
मनोविकृत व्यक्तित्व के चलते ऐसे महिलाओं पर हिंसा की घटनाएं होती हैं।ऐसे में सही ढंग से काउंसेलिंग या ट्रीटमेंट नहीं मिलने पर उनका हौंसला टूट जाता है और वह डिप्रेशन में चली जाती है।छोटे से छोटे मामले के लिए उनको थाने से लेकर काउंसेलिंग सेंटर के दर्जनों चक्कर लगाने पड़ते हैं। वह कहती हैं कि कुछ ज्यादा उम्र के लोग पीडियोफिलिया (बाल यौन अपराध) बीमारी से ग्रस्त रहते हैं। ऐसे में ये कम उम्र की बच्चियों को अपना शिकार बनाते हैं। उन्हें लगता है कि ये बच्चियां किसी से कुछ कहेंगी नहीं।इसके पीछे भी अकेलापन एक हद तक जिम्मेदार होता है। वर्तमान समयांतराल में दहेज प्रताड़ना, बलात्कार, कार्यस्थल पर पुरुष सहकर्मी द्वारा अनायास ही यौन हिंसा का शिकार होना आदि शारीरिक एवं मानसिक प्रताड़नाएं महिलाओ को निर्बल बनाती है, जो उनको अंदर ही अंदर खोखला करते हुए उनको कमजोर बना देती है जिससे उनकी सोचने की क्षमता क्षीण हो जाती है।
रिपोर्ट आशीष चौरसिया
25 नवंबर को पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस मनाया जाता है। कुछ महिलाएँ आम तौर अपने जीवनकाल में आमतौर पर पुरुष साथी से शारीरिक या यौन हिंसा का अनुभव करती है। यह गहरे शारीरिक और मनोवैज्ञानिक घावों को संक्रमित करता है। सबसे खराब, लड़कियों और महिलाओं को बिना किसी सहारे या न्याय के छोड़ दिया जाता है, जिन्हें खतरे के नीचे जीवन यापन करने के लिए मजबूर किया जाता है।
यह दिवस महिलाओं पर हो रही हिंसा को रोकने के लिए लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से मनाया जाता है।लेकिन, क्या आपको मालूम है कि सिर्फ बिहार में ही पिछले एक दशक के दौरान महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा के 34 हजार से अधिक मामले दर्ज किये गये हैं। अगर रिकार्डो की बात की जाए तो महिला हेल्पलाइन में महिलाओं के खिलाफ दर्ज होने वाले अपराधों में यह सर्वाधिक है। एक सर्वे में पाया गया है कि 70 प्रतिशत महिलाएं अपने संपूर्ण जीवन काल में कभी न कभी हिंसा की शिकार होती हैं।
हमारे समाज में तो जन्म से पहले से ही कानून बना हुआ है।गर्भ में पल रही लड़की के बचाव के लिए भी कानून है। ताकि कोई इसे मारे नहीं, लेकिन कई बार अधिकार रहते हुए कानून कुछ नहीं करती। ऐसे में महिलाओं को सिर्फ अधिकार मिलने से कुछ नहीं होगा।प्रमिला कुमारी, प्रोजेक्ट मैनेजर, महिला हेल्प लाइन महिला हिंसा के खिलाफ कई तरह के बने हैं कानून महिला हिंसा में महिलाएं भी कई बार जिम्मेदार होती हैं। यह भी तथ्य है कि पढ़े-लिखे समाज में भी महिलाएं आज सबसे अधिक घरेलू हिंसा की शिकार हो रही हैं। शादी के बाद पति को लड़की सुंदर नहीं लगना, लड़की का रंग सांवला होना, गांव में लड़की पैदा होने पर महिलाओं को जान से मारने जैसे मामले रोज देखने को मिल रहे हैं।मॉडर्न लाइफ स्टाइल मेंटेन करने के कारण बच्चियां गलत चंगुल में फंस रही हैं।ऐसे में यौन हिंसा के मामले भी बढ़ रहे हैं।आम लोगों को भी जागरूक होने की जरूरत है।
लेकिन कहीं न कहीं समाज पीछे है।नये कानून भी सख्त बने हैं। फिर भी सिर्फ अधिकार और कानून बनने से कुछ नहीं होगा।आज भी कई मामले दर्ज नहीं किये जाते हैं। कानून होने के बावजूद वह अधिकार नहीं मिल पाता, जिसे लागू किया गया है।संयुक्त राष्ट्र ने महिलाओं के अधिकारों हेतु ‘ही फॉर सी’ नाम से एक वैश्विक अभियान की शुरुआत की है।25 नवंबर 1960 के दिन डोमिनिकन शासन के राजनैतिक कार्यकर्ता राफेल ट्रुजिलो के आदेश पर 3 बहनों पैट्रिया मर्सिडीज मिराबैल, मारिया अर्जेंटीना मिनेर्वा मिराबैल तथा एंटोनिया मारिया टेरेसा मिराबैल की बेहद क्रूर तरीके से हत्या कर दी गई थी। दरअसल, इन तीनों बहनों ने ट्रुजिलो की तानाशाही का विरोध किया था। 1981 से तीनों बहनों की मौत के बाद हर साल महिला अधिकारों के समर्थक इस दिन को श्रृद्धांजलि दिवस के रूप में मनाने लगे। 17 नवंबर 1999 को संयुक्त राष्ट्र ने 25 नवंबर का दिन अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस के रूप में घोषित कर दिया। वर्ष 2000 से हर साल 25 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस मनाया जाने लगा।
जिस भारत में कन्या को देवी के रूप में पूजा जाता है, वहीं उनके खिलाफ अपराध के आंकड़े गंभीर स्थिति में पहुंच चुके हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा 2007 से लेकर 2016 के बीच 10 सालों के जो आंकड़े जारी किए गए है, उन्हें देखकर पूरे देश का सिर शर्म से झुक गया है।एनसीआरबी यानि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा 2007-2016 के बीच महिला अपराध संबंधी जारी आंकड़े के मुताबिक, भारत में महिलाओं के खिलाफ क्राइम के मामले 83 प्रतिशत बढ़े हैं। शील भंग करने के प्रयास का मामला 119 प्रतिशत बढ़ गया है। वहीं, बलात्कार के मामलों की संख्या भी 83 प्रतिशत बढ़ी है। इसके अलावा पारिवारिक हिंसा और उत्पीड़न के मामले भी 45 प्रतिशत बढ़े हैं। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि भारत में महिलाओं की स्थितिअत्यंनीय दयनीय है।
अगर देखा जाए तो
मनोविकृत व्यक्तित्व के चलते ऐसे महिलाओं पर हिंसा की घटनाएं होती हैं।ऐसे में सही ढंग से काउंसेलिंग या ट्रीटमेंट नहीं मिलने पर उनका हौंसला टूट जाता है और वह डिप्रेशन में चली जाती है।छोटे से छोटे मामले के लिए उनको थाने से लेकर काउंसेलिंग सेंटर के दर्जनों चक्कर लगाने पड़ते हैं। वह कहती हैं कि कुछ ज्यादा उम्र के लोग पीडियोफिलिया (बाल यौन अपराध) बीमारी से ग्रस्त रहते हैं। ऐसे में ये कम उम्र की बच्चियों को अपना शिकार बनाते हैं। उन्हें लगता है कि ये बच्चियां किसी से कुछ कहेंगी नहीं।इसके पीछे भी अकेलापन एक हद तक जिम्मेदार होता है। वर्तमान समयांतराल में दहेज प्रताड़ना, बलात्कार, कार्यस्थल पर पुरुष सहकर्मी द्वारा अनायास ही यौन हिंसा का शिकार होना आदि शारीरिक एवं मानसिक प्रताड़नाएं महिलाओ को निर्बल बनाती है, जो उनको अंदर ही अंदर खोखला करते हुए उनको कमजोर बना देती है जिससे उनकी सोचने की क्षमता क्षीण हो जाती है।
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