*तत्कालीन एसओ को बचाने में फंस चुके हैं जिले के कई अफसर*
*दो आईपीएस, तीन एएसपी एवं 3 डीएसपी आ चुके हैं जांच के घेरे में*
एटा: 'हम डूबेंगे, सनम तुम्हें भी ले डूबेंगे' किसी फिल्म का यह डायलॉग जैथरा थाने में एसओ के पद पर तैनात रहे दागी दरोगा पर बिल्कुल सटीक चरितार्थ होता नजर रहा है। दरोगाजी खुद तो 'डूबे' ही, अपने मददगार अफसरों को भी ले 'डूबे'। दरोगाजी को बचाने वाले जिले के कई अफसर मुसीबत में फंस गए हैं। दो एसएसपी, तीन एएसपी सहित कई अफसर जांच और शिकायत के कठघरे में है। दो अफसर सीबीसीआईडी की जांच में दोषी पाए जा चुके हैं, जबकि एक एसएसपी के विरुद्ध मानवाधिकार आयोग की तरफ से कार्यवाही के आदेश पारित किए जा चुके हैं। बावजूद इसके जिले में तैनात रहे अफसर दागी दरोगा पर अपनी मेहरबानी बरसाने से नहीं चूके।
सपा सरकार के समय वर्ष 2016 में जिले के जैथरा थाने में बतौर थानाध्यक्ष तैनात रहे उपनिरीक्षक कैलाश चन्द्र दुबे अपने कारनामों की वजह से चर्चा में हैं। अफसरों की तमाम लिखित चेतावनियों के बावजूद दरोगाजी ने अपने आचरण में कोई सुधार नहीं किया। कठोर कार्यवाही करने की जगह अफसर नरमी बरतते रहे। अफसरों की यही नरमी अब उनके गले की फांस बन गई है। शिकायतों पर जांच के बाद जिले के कई बड़े अफसर मुसीबत में फंस गए हैं।
जैथरा थाने में दर्ज एक मुकदमा में दाखिल ट्रैक्टर को फर्जीवाड़ा कर बदलने के मामले में तत्कालीन एसओ के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराने को मांगी गई अनुमति प्रदान न करने पर जिले के तत्कालीन एसएसपी तथा एएसपी क्राइम के विरुद्ध पीड़ित की शिकायत पर स्वतन्त्र एजेंसी से जांच कराने की संस्तुति हो चुकी है। वहीं एक अन्य मामले में क्षेत्राधिकारी अलीगंज के आदेश के बावजूद भी पीड़ित का 18 दिन तक मुकदमा दर्ज न करने के बावजूद भी दोषी एसओ पर अपनी मेहरबानी बरसाने वाले जिले के दो तत्कालीन एएसपी सीबीसीआईडी की जांच में दोषी पाए जा चुके हैं। कस्बा जैथरा के ही एक पत्रकार को छेड़छाड़ के मुकदमे में झूठा फंसाने के बावजूद भी एसओ के विरुद्ध कार्यवाही न करने पर जिले के तत्कालीन एसएसपी पर एनएचआरसी से कार्यवाही के आदेश हो चुके हैं।
इसके अलावा आरटीआई एक्टिविस्ट एवं पत्रकार सुनील कुमार की शिकायत पर *मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ* द्वारा तत्कालीन एसओ पर मेहरबानी बरसाने वाले अन्य अफसरों की भूमिका की जांच के आदेश पूर्व में दिए जा चुके हैं। यह जांच प्रदेश की एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा की जा रही है। सूत्रों के अनुसार इस जांच में भी कई अफसर फंस रहे हैं, जिसमें तीन डीएसपी स्तरीय अधिकारी भी शामिल हैं। इस तरह जैथरा थाने में तैनात रहे तत्कालीन एसओ को बचाने में अब तक 8 अफसर किसी न किसी वजह से मुसीबत में फंस चुके हैं।
*एसओ के विरुद्ध हुईं थी करीब 20 विभागीय जांचें*
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जिले में तैनाती के समय तत्कालीन थानाध्यक्ष कैलाश चन्द्र के विरुद्ध विभिन्न मामलों में करीब 20 विभागीय जांचें हुई थीं। दोषी पाए जाने पर अफसरों द्वारा तत्कालीन एसओ को लिखित चेतावनियों के साथ-साथ अन्य विभागीय कार्यवाही से दंडित किया गया था।
*जबरिया रिटायर को अफसरों ने नहीं दिखाई संजीदगी*
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नकारा एवं दागी अफसरों को महकमे से हटाने को बीते वर्षों विशेष अभियान चलाया था। सीएम ने स्क्रीनिंग कमेटी के माध्यम से रिपोर्ट प्राप्त कर ऐसे अफसरों को जबरिया रिटायरमेंट दिया था। शासन ने प्रदेश के ऐसे अफसर भी जबरन रिटायर किए, जिनके विरुद्ध सिर्फ 3 या 5 विभागीय जांचें हुईं और परिनिन्दा लेख से दंडित किया था। बावजूद इसके लगभग 20 विभागीय जांचों में दंडित होने वाले तत्कालीन एसओ का रिकॉर्ड स्क्रीनिंग कमेटी के समक्ष न पहुंचना भी बड़े सवाल खड़ा कर रहा है। बताते चलें कि इस समय भी यह विशेष अभियान शुरू हो चुका है। एडीजी, स्थापना, पुलिस मुख्यालय, लखनऊ द्वारा जिलों से दागी पुलिस कार्मिकों की सूची 30 नवम्बर तक मांगी गई है।
*पत्रकार मामले में फंस चुके हैं 6 पुलिसकर्मी*
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कस्बा जैथरा निवासी पत्रकार सुनील कुमार को झूठे मुकदमे में फंसाने के मामले में 6 पुलिस अधिकारी एवं कर्मचारी फंस चुके हैं। एनएचआरसी ने तत्कालीन एसएसपी, एसओ एवं विवेचक पर कार्यवाही के आदेश हो चुके हैं, जबकि दो पुलिसकर्मियों के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही प्रचलित है। उस समय तैनात रहे एक हैड मोहर्रिर के विरुद्ध विभागीय जांचोपरांत दंडात्मक कार्यवाही हो चुकी है।
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