उत्तर-प्रदेश
कार्यालय लिपिक ने गीडा प्रशासन पर लगाया आरोप, बिना किसी नोटिस के कार्य करने से रोका।
गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के ग्रह जनपद में वैसे ही यहाँ के मूल निवासी के लिए ज्यादातर काम नही होता है ये हम नही कह रहे ये सब लोग कहते है बाहर से आये हुए लोगो को काम पर रखा जाता है । एक ताजा मामला प्रकाश में आया है कि औद्योगिक विकास प्राधिकरण गीडा के कार्यालय में पिछले करीब 20 सालो से लिपिक के कार्य पर कार्यरत कर्मचारी को गीडा प्रशासन के द्वारा बिना किसी नोटिस के कार्य करने से रोक दिया गया। आपको बताते चले कि 2002 से गीडा आफिस में कार्यरत कर्मचारी श्रवण सिंह उम्र करीब 46 साल पुत्र स्व0 महातम सिंह जो विधानसभा सहजनवा के मूल निवासी है उनका शासन के द्वारा विनियमितीकरण प्रक्रिया रद्द करने के बाद अगस्त से कार्यमुक्त कर दिया गया था। वर्तमान में वो गीडा आफिस में संविदा पर कार्यरत थे जिन्हें जुलाई 2021 तक का बेतन भी दिया गया परन्तु विभाग के द्वारा 18 अगस्त से इन्हें उपस्थिति पंजिका में हस्ताक्षर करने से रोक दिया गया और अगस्त माह से बेतन भी देना बंद हो गया । इनका जब विनियमितीकरण की प्रक्रिया रद्द कर दिया गया तो ये कोर्ट का सहारा लिए जहाँ से जून 2021 को पुनः विनियमितीकरण की प्रक्रिया को विचार करके निरस्त कर दिया गया। जिसके बाद गीडा प्रशासन ने श्रवण को कार्य मुक्त कर दिया। जिस पर श्रवण सिंह ने गीडा प्रशासन पर आरोप लगाया कि शासन के आदेश में सिर्फ विनियमितीकरण रद्द करने के लिए और कार्य के हिसाब से हर महीने भुगतान देने का आदेश दिया गया है। कही पर भी कार्यमुक्त का आदेश नही है जबकि गीडा के द्वारा मौखिक रूप से कार्य मुक्त कर दिया है। अगर गीडा प्रशासन लिखित आदेश कार्यमुक्ति का दे तब तो हम कार्य करना छोड़े। इस बारे में जब गीडा के सीईओ पवन अग्रवाल से हुई तो उनका कहना था कि ये मामला हाईकोर्ट में चल रहा है उसी के आदेश पर कार्यवाही की जाएगी। रिपोर्टर/रबिंद्र निषाद/गोरखपुर।
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