तिगाई के लिए वरदान साबित हो रहीं शैलेश कुमारी
वर्ष 2002 से गांव में कार्यरत हैं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, शैलेश की मेहनत से गांव में नहीं है कोई अति कुपोषित।
कानपुर देहात। अकबरपुर ब्लॉक से 9 किलोमीटर दूर बसा गांव तिगाई आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शैलेश कुमारी की वजह से किसी परिचय का मोहताज नहीं है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शैलेश कुमारी की कड़ी मेहनत से वर्तमान में यहां कोई भी बच्चा अति कुपोषित नहीं है। हालांकि एक बच्चा कुपोषित की श्रेणी में आ रहा है जिसको स्वस्थ्य करने के लिए शैलेश हर दिन प्रयासरत हैं। वर्ष 2002 में जब शैलेश ने बतौर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कार्य करना शुरू किया तो कुपोषण का ग्राफ काफी डरावना था।
शैलेश बताती हैं कि जब मैंने आंगनवाड़ी पद पर काम करना शुरू किया तब मेरे गांव में 17 बच्चे अति कुपोषित थे इसके बाद मैंने अपने मन में ठान लिया की इन बच्चों को स्वस्थ करना ही है। आज हमारा गांव कुपोषण मुक्त है। हालांकि 1 बच्चा अभी पीली श्रेणी में हैं। उन्होंने बताया कि जब मैंने आंगनबाड़ी के रूप में काम करना शुरू किया तो ग्रामीणों ने कहा कि बताओ घर की बहु को घर-घर घुमाया जा रहा है। लेकिन मैं उनकी बातों को नजरंदाज करती रही। मेरे घर वाले भी मेरे साथ थे। मेरा सिर्फ एक उद्देश्य था कि हमारे गांव का हर व्यक्ति स्वस्थ और खुशहाल रहे। शैलेश बताती हैं कि जब मैं बच्चों का वजन करने के लिए बच्चों को केंद्र पर बुलाती थी तो कोई भी अपना बच्चा नहीं भेजता था। फिर मैं घर-घर जाने लगी। हालांकि कुछ लोगों ने ऐतराज भी किया लेकिन मैं अपना काम करती रही। आज सभी लोग अपने बच्चों का वजन कराने के साथ अन्नप्राशन, ममता दिवस, गोद भराई जैसी अन्य गतिविधियों में भी लोग आते हैं। सभी टीकाकरण भी करा रहे हैं।
गांव से भागा कुपोषण
जिला कार्यक्रम अधिकारी राकेश यादव ने बताया कि जनपद में पिछले बर्ष अक्टूबर 2018 में जहां लाल श्रेणी में 23 हजार 959 बच्चे थे, जो जून 2019 में घटकर 10 हजार 352 रह गए हैं। वहीं अगस्त 2018 में जनपद में 8 हजार 184 बच्चे पीली श्रेणी में थे जो अब अगस्त 2019 में 2 हजार 724 रह गए हैं। अकबरपुर ब्लॉक की बाल विकास पुष्टाहार विभाग की सुपरवाईजर राम किशोरी त्रिपाठी कहती हैं कि शैलेश आज दूसरों के लिए मिशाल बन कर उभरी है वो अपने काम के प्रति इतनी लगनशील है की वह न दिन देखती और न रात ही हर काम को लगन से करती हैं। गौरतलब है कि तिगाई की वर्तमान आबादी लगभग 1,118 है। इसमें 607 पुरुष और 511 महिलाएं हैं।
ग्रामीणों ने की सराहना
तिगाई निवासी पंकज कश्यप कहते हैं कि शैलेश दीदी को बहुत-बहुत धन्यवाद उनकी वजह से आज हमारे गांव में कोई बच्चा भी कुपोषित नहीं है। उन्होने बताया कि जब मेरी बेटी राशि का जन्म हुआ तो वह दो किलोग्रम की थी तो बहुत ही कमजोर थी लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शैलेश ने मेरी बेटी की अच्छे से देखभाल की और उसे पोषण युक्त व्यंजन बनाकर नियमित रूप से खिलाया। बेहतर देखभाल की। कुछ ही दिन में मेरी बेटी का वजन तेजी से बढ़ने लगा।
वर्ष 2002 से गांव में कार्यरत हैं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, शैलेश की मेहनत से गांव में नहीं है कोई अति कुपोषित।
कानपुर देहात। अकबरपुर ब्लॉक से 9 किलोमीटर दूर बसा गांव तिगाई आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शैलेश कुमारी की वजह से किसी परिचय का मोहताज नहीं है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शैलेश कुमारी की कड़ी मेहनत से वर्तमान में यहां कोई भी बच्चा अति कुपोषित नहीं है। हालांकि एक बच्चा कुपोषित की श्रेणी में आ रहा है जिसको स्वस्थ्य करने के लिए शैलेश हर दिन प्रयासरत हैं। वर्ष 2002 में जब शैलेश ने बतौर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कार्य करना शुरू किया तो कुपोषण का ग्राफ काफी डरावना था।
शैलेश बताती हैं कि जब मैंने आंगनवाड़ी पद पर काम करना शुरू किया तब मेरे गांव में 17 बच्चे अति कुपोषित थे इसके बाद मैंने अपने मन में ठान लिया की इन बच्चों को स्वस्थ करना ही है। आज हमारा गांव कुपोषण मुक्त है। हालांकि 1 बच्चा अभी पीली श्रेणी में हैं। उन्होंने बताया कि जब मैंने आंगनबाड़ी के रूप में काम करना शुरू किया तो ग्रामीणों ने कहा कि बताओ घर की बहु को घर-घर घुमाया जा रहा है। लेकिन मैं उनकी बातों को नजरंदाज करती रही। मेरे घर वाले भी मेरे साथ थे। मेरा सिर्फ एक उद्देश्य था कि हमारे गांव का हर व्यक्ति स्वस्थ और खुशहाल रहे। शैलेश बताती हैं कि जब मैं बच्चों का वजन करने के लिए बच्चों को केंद्र पर बुलाती थी तो कोई भी अपना बच्चा नहीं भेजता था। फिर मैं घर-घर जाने लगी। हालांकि कुछ लोगों ने ऐतराज भी किया लेकिन मैं अपना काम करती रही। आज सभी लोग अपने बच्चों का वजन कराने के साथ अन्नप्राशन, ममता दिवस, गोद भराई जैसी अन्य गतिविधियों में भी लोग आते हैं। सभी टीकाकरण भी करा रहे हैं।
गांव से भागा कुपोषण
जिला कार्यक्रम अधिकारी राकेश यादव ने बताया कि जनपद में पिछले बर्ष अक्टूबर 2018 में जहां लाल श्रेणी में 23 हजार 959 बच्चे थे, जो जून 2019 में घटकर 10 हजार 352 रह गए हैं। वहीं अगस्त 2018 में जनपद में 8 हजार 184 बच्चे पीली श्रेणी में थे जो अब अगस्त 2019 में 2 हजार 724 रह गए हैं। अकबरपुर ब्लॉक की बाल विकास पुष्टाहार विभाग की सुपरवाईजर राम किशोरी त्रिपाठी कहती हैं कि शैलेश आज दूसरों के लिए मिशाल बन कर उभरी है वो अपने काम के प्रति इतनी लगनशील है की वह न दिन देखती और न रात ही हर काम को लगन से करती हैं। गौरतलब है कि तिगाई की वर्तमान आबादी लगभग 1,118 है। इसमें 607 पुरुष और 511 महिलाएं हैं।
ग्रामीणों ने की सराहना
तिगाई निवासी पंकज कश्यप कहते हैं कि शैलेश दीदी को बहुत-बहुत धन्यवाद उनकी वजह से आज हमारे गांव में कोई बच्चा भी कुपोषित नहीं है। उन्होने बताया कि जब मेरी बेटी राशि का जन्म हुआ तो वह दो किलोग्रम की थी तो बहुत ही कमजोर थी लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शैलेश ने मेरी बेटी की अच्छे से देखभाल की और उसे पोषण युक्त व्यंजन बनाकर नियमित रूप से खिलाया। बेहतर देखभाल की। कुछ ही दिन में मेरी बेटी का वजन तेजी से बढ़ने लगा।

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