*नया वक्फ संशोधन कानून अत्यंत पिछड़े मुस्लिम सूफ़ीशाह-मलंग (फकीर) समुदाय के लिए न्याय और हक सुनिश्चित करने की दिशा में एक क्रांतिकारी प्रयास है : जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल*
*मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मार्गदर्शक इंद्रेश कुमार जी के आशीर्वाद से सूफीशाह मलंग प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक ताहिर शाह और एडवोकेट चांदनी शाहबानो ने मंगलवार को जेपीसी के चेयरमैन जगदंबिका पाल जी से मुलाकात कर बधाई दी*
यूपी:लखनऊ, मंगलवार वक्फ संशोधन विधेयक के दोनों सदनों में पारित होने और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हस्ताक्षर के बाद कानून का रूप लेने के साथ ही देशभर में मुस्लिम सूफ़ीशाह-मलंग (फकीर) समुदाय के बीच कानून के समर्थन में एक नया मोर्चा खुलता नज़र आया जब राष्ट्रीय शाह समाज फाउंडेशन इन्डिया ( आरएसएस फाउंडेशन इन्डिया ) के वरिष्ठ नेताओं और उनके (मुस्लिम राष्ट्रीय मंच) सूफ़ीशाह-मलंग प्रकोष्ठ ने इसे ‘मुस्लिम समाज के लिए ऐतिहासिक और सुधारवादी पारदर्शी कदम’ बताया।
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मार्गदर्शक इंद्रेश कुमार जी के मार्गदर्शन में सूफीशाह-मलंग प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक ताहिर शाह और एडवोकेट चांदनी शाहबानो ने मंगलवार को जेपीसी के चेयरमैन जगदंबिका पाल जी के निजी आवास गोमती नगर लखनऊ में शाह समाज के प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात कर उन्हें बधाई दी और कहा कि वक्फ कानून को लेकर जो भ्रांतियाँ फैलाई जा रही हैं, उन्हें मिटाने के लिए शाह समाज देशभर में 100 से अधिक प्रेस कॉन्फ्रेंस और 500 से ज्यादा जन जागरूकता गोष्ठियों का आयोजन करेगा l
शाहबानो ने वक्फ संपत्तियों के कुप्रबंधन की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह संशोधन “आत्मसम्मान, न्याय और बराबरी” को बढ़ावा देगा। 7अप्रैल नई दिल्ली ईद मिलन समारोह में वक्फ संशोधन पर खुलकर सामने आए सूफ़ीशाह मलंग समाज ने वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर एक बड़ा राजनीतिक-सामाजिक संदेश देने की कोशिश की। कार्यक्रम में (आरएसएस) नेता इंद्रेश कुमार, आरएसएस के संपर्क प्रमुख रामलाल, और जेपीसी के चेयरमैन जगदंबिका पाल, सूफ़ी जियारत अली शाह मलंग, शोहरत बाबा मलंग समेत कई प्रमुख शाहमलंग (फकीर) चेहरे मंच व कार्यक्रम में मौजूद रहे। इस आयोजन में वक्फ संशोधन कानून के समर्थन में देशभर से आए मुस्लिम नेताओं, स्कॉलर्स, धर्मगुरुओं और बुद्धिजीवियों ने इसे “परिवर्तनकारी कदम” करार देते हुए समर्थन का ऐलान किया है।
ईद मिलन जैसे धार्मिक-सांस्कृतिक आयोजनों का राजनीतिकरण और उसमें सरकारी व संघ परिवार के प्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी यह संकेत देती है कि यह मुद्दा आने वाले दिनों में राजनीतिक विमर्श का केंद्रीय विषय बन सकता है।
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