वर्तमान परिदृष्य में दिव्यांगजनों हेतु पुनर्वास सेवाओं की उपलब्धता विशय पर सी.आर.सी. गोरखपुर ने आयोजित किया एक दिवसीय वेविनार
प्रेस विज्ञप्ति
वर्तमान परिदृष्य में दिव्यांगजनों हेतु पुनर्वास सेवाओं की उपलब्धता विशय पर सी.आर.सी. गोरखपुर ने आयोजित किया एक दिवसीय वेविनार ।
सी.आर.सी. गोरखपुर द्वारा आयोजित हो रही नियमित ई-परामर्ष श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए सी.आर.सी. गोरखपुर ने अभिभावकों/हितधारकों हेतु एक जागरूकता संगोश्ठी वेविनार ई-परामर्ष श्रृंखला 40 का आयोजन किया। “वर्तमान परिदृष्य में दिव्यांगजनों हेतु पुनर्वास सेवाओं की उपलब्धता“ विशय पर इस अभिभावक/हितधारक जागरूकता संगोश्ठी का आयोजन सोसाईटी फाॅर इंस्टीट्यूट आॅफ साईकोलाॅजिकल रिसर्च एण्ड हेल्थ, अमरोहा उ.प्र. के संयुक्त तत्वाधान में किया गया। डाॅ. नसीम अहमद, प्रबंधक, सोसाईटी फाॅर इंस्टीट्यूट आॅफ साईकोलाॅजिकल रिसर्च एण्ड हेल्थ, अमरोहा उ.प्र. के विषेश आग्रह पर सी.आर.सी. गोरखपुर ने इस परामर्ष श्रृंखला का आयोजन किया ताकि दिव्यांगजनों हेतु उपलब्ध आॅनलाइन सेवाओं से पष्चिमी उत्तर प्रदेष के अभिभावक गण भीे लाभान्वित हो सकें। इस परामर्ष श्रृंखला में सी.आर.सी.गोरखपुर के प्रमुख विषेशज्ञों ने “वर्तमान परिदृष्य में दिव्यांगजनों हेतु पुनर्वास सेवाओं की उपलब्धता“ विशय पर अपने विचार श्रोताओं तक पहंुचाया। सी.आर.सी. गोरखपुर के विकासात्मक चिकित्सक सहायक श्रीमान संजय प्रताप सिंह ने बताया कि बच्चे की जल्दी पहचान करके उचित हस्तक्षेपण द्वारा समस्या को कम किया जा सकता है। व्यावसायिक चिकित्सा विभाग के प्रवक्ता अमित कुमार कच्छप ने संवेदी प्रषिक्षण के महत्व को बताते हुए कहाकि उचित संवेदी प्रषिक्षण द्वारा व्यक्ति को पुनः समाज की मुख्यधारा में जोड़ा जा सकता है। भौतिक चिकित्सा विभाग के प्रवक्ता श्री विजय गुप्ता ने गामक दिव्यांगता के प्रभाव को कम करने हेतु कुछ सामान्य अभ्यास के बारे में बताया जिसकों इस महामारी के समय में अभिभावक स्वयं अपने घर पर करा सकते हैं जैसे बच्चे को घोड़ा बना कर चलाना या उसे हनुमान की पोजीषन में बैठाना। नैदानिक मनोविज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यपक श्री राजेष कुमार जी ने बताया कि इस महामारी के समय अवसाद से बचने का सबसे आसान तरीका है कि व्यक्ति को हंसना चाहिए। उसे अपने आपको सकारात्मक कामों में लगाना चाहिए। उन्होंने मानसिक दिव्यांगजनों हेतु हेल्प लाइन किरण का भी जिक्र किया तथा बताया कि कोई भी व्यक्ति जिसे परामर्ष की आवष्यकता हो इस 24 घंटे की हेल्प लाइन से सहायता ले सकता हैं। विषेश षिक्षा विभाग के सहायक प्राध्यापक श्री नीरज मधुकर जी ने बताया कि सी.आर.सी. गोरखपुर के विषेशज्ञ आवष्यकतानुसार बच्चे का असेसमेंट करके षिक्षण-प्रषिक्षण प्रदान करते हैं जिससे उसकी षैक्षिक उपलब्धियों को बढाया जाता है। इसके अलावा सी.आर.सी. गोरखपुर इस वर्श से दो लंबी अवधि के मानव संसाधन विकास के आर.र्सी.आइ. द्वारा मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रमों की षुरूआत कर रहा है। वाणी भाशा विभाग के सहायक प्राध्यापक श्री रवि कुमार जी ने बच्चों में होने वाले सामान्य भाशा वाणी विकारों का जिक्र किया तथा एडिप स्कीम के तहत सी.आर.सी. गोरखपुर द्वारा दिये जाने वाले उपकरणों के बारे में बताया कि वे अपने आवष्यक प्रमाण पत्र जमा करा कर सहायक उपकरण प्राप्त कर सकते हैं।
सी.आर.सी. के निदेषक श्री रमेष कुमार पान्डेय जी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि टीम सी.आर.सी. लगातार अपनी सेवाओं को आॅनलाइन माध्यम से दिव्यांगजनों तक पहुंचाने हेतु प्रतिबद्ध है। इस क्रम में कार्यक्रम में जुड़ने वाले प्रतिभागियों से आग्रह किया कि यदि आप किसी भी ऐसे विशय पर अलग से वेविनार चाहते हैं तो हमें सूचित करें सी.आर.सी. अपने संसाधनों के अनुरूप उसे पूरा करने का प्रयास करेगी।
कार्यक्रम का संचालन, सी.आर.सी. के पुनर्वास अधिकारी श्री राजेष कुमार यादव ने किया। विषेश षिक्षक श्री नागेन्द्र पान्डेय ने कार्यक्रम में जुड़ने वाले सभी प्रतिभागियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया तथा प्रष्नोत्तर काल का संचालन किया। इस कार्यक्रम में आॅनलाइन माध्यम से 250 से ज्यादा लोगों ने प्रतिभाग किया। सभी प्रतिभागियों को ई-सर्टिफिकेट दिया गया।

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