*राजगढ़ से जितेन्द्र वर्मा की ब्यूरो रिपोर्ट*
ब्यावरा. परिवहन विभाग द्वारा की जा रही कार्रवाई के तहत अवैध तौर पर संचालित कई बसों की हकीकत सामने आ रही है। बस संचालकों में इस कदर कार्रवाई का खौफ है कि रविवार को छुट्टी के दिन भी नरसिंहगढ़ में हुई कार्रवाई के डर से ब्यावरा से ही बसें रवाना नहीं हुई। इससे सैकड़ों यात्रियों की फजीहत हो गई। उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
दरअसल, जैसे ही नरसिंहगढ़ में परिवहन विभाग की टीम ने कार्रवाई शुरू की, इसकी जानकारी थोड़ी देर में ही जिलेभर में पहुंच गई। इसके डर के कारण संचालकों ने बसें ब्यावरा में ही रोक ली। एक या दो बसें ही रवाना हुईं जिनके कागजात पूरे थे, बाकियों ने बसें ही खड़ी करवा दी। किसी के टैक्स की राशि बकाया है तो किसी का फिटनेस नहीं तो किसी ने परमिट ही नहीं लिया। साथ ही अन्य कागजात की भी कमी है।
इसी के डर से दिसंबर के आखिरी माह में बसें ही संचालकों ने बंद कर ली। हर बार होने वाली इक्का-दुक्का कार्रवाई में ही बस संचालक बचने का रास्ता निकाल लेते हैं लेकिन शासनस्तर पर निर्देश अवैध परिवहन माफियाओं को भी माफियाओं की श्रेणी में रखा गया है, इसी के बाद यह सख्ती शुरू की गई है।
ब्यावरा. परिवहन विभाग द्वारा की जा रही कार्रवाई के तहत अवैध तौर पर संचालित कई बसों की हकीकत सामने आ रही है। बस संचालकों में इस कदर कार्रवाई का खौफ है कि रविवार को छुट्टी के दिन भी नरसिंहगढ़ में हुई कार्रवाई के डर से ब्यावरा से ही बसें रवाना नहीं हुई। इससे सैकड़ों यात्रियों की फजीहत हो गई। उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
दरअसल, जैसे ही नरसिंहगढ़ में परिवहन विभाग की टीम ने कार्रवाई शुरू की, इसकी जानकारी थोड़ी देर में ही जिलेभर में पहुंच गई। इसके डर के कारण संचालकों ने बसें ब्यावरा में ही रोक ली। एक या दो बसें ही रवाना हुईं जिनके कागजात पूरे थे, बाकियों ने बसें ही खड़ी करवा दी। किसी के टैक्स की राशि बकाया है तो किसी का फिटनेस नहीं तो किसी ने परमिट ही नहीं लिया। साथ ही अन्य कागजात की भी कमी है।
इसी के डर से दिसंबर के आखिरी माह में बसें ही संचालकों ने बंद कर ली। हर बार होने वाली इक्का-दुक्का कार्रवाई में ही बस संचालक बचने का रास्ता निकाल लेते हैं लेकिन शासनस्तर पर निर्देश अवैध परिवहन माफियाओं को भी माफियाओं की श्रेणी में रखा गया है, इसी के बाद यह सख्ती शुरू की गई है।

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