*देवास बागली*
*जिला संवाददाता राजेंद्र योगी की रिपोर्ट*
*बागली नगर मैं हमेशा ही पेश की है एकजुटता की नजीर नगर में आकर्षण झांकियां ताजिए सजाए गए*
कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए नगर बागली में मोहर्रम पर्व हर्षोल्लास से मनाया गया नूर अंजुमन इस्लामिया कमेटी के प्रमुख व समाजसेवी अजीत मंसूरी ने बताया बागली हमेशा से ही शांति टापू रहा है सभी धर्म के लोग आपस में भाईचारा और प्रेम की भावना के साथ त्यौहार मनाते आ रहा है साथ ही उन्होंने बताया
ईद हर्ष का त्योहार है, तो मुहर्रम विषाद का। इस्लामधर्म के अनुयायी अपने शहीदों की याद तरोताजा रखने के लिए इस त्योहार को बड़ी श्रद्धा से मनाते हैं। इस्लामी इतिहास की सबसे दुःखद घटना की याद में वर्ष के पहले महीने की पहली तारीख से दसवीं तारीख तक मुहर्रम मनाया जाता है। इस घटना का संबंध इस्लामधर्म के संस्थापक हजरत मुहम्मद के नाती हजरत इमाम हुसैन के बलिदान से है। नगर में नूरी मस्जिद चौराहे पर अंजुमन इस्लामिया कमेटी द्वारा शरबत दूध वितरण किया गया इस अवसर पर अंजुमन कमेटी के सदर समाजसेवी डॉक्टर रामचंद्र राठौर पुरुषोत्तम सिसोदिया अजीत मंसूरी ,हनीफ भुट्टो पत्रकार नूर मोहम्मद, जुजार शाह इकबाल ,रफीक पत्रकार राजेंद्र योगी ,आदि सभी समाज सेवी प्रतिष्ठित व्यक्ति उपस्थित रहे
समाजसेवी पत्रकार नूर मोहम्मद शेख ने कहा-
यह घटना इस्लाम की तवारीख में सबसे बड़ी खूनी शहादत है इसी के चालीसवें दिन 'चेहल्लुम' ( चालीसवाँ) मनाते हैं यह पर्व मानो श्राद्ध या श्रद्धापर्व है
इसी शहादत की यादगारी में इस्लाम माननेवाले मुहर्रम की पहली तारीख से दसवीं तारीख तक दस दिनों का मातम मानते हैं मुसलमानों में जो शिया हैं, उनके लिए तो यह घटना बहुत ग़मनाक-दर्दनाक है। वे जंजीर से अपने सीने और पीठ को पीट-पीटकर लहूलुहान कर लेते हैं औरतें स्याह मातमी पोशाक में नजर आती हैं। साथ ही उन्होंने बताया यहां रोज इमाम हुसैन की जीवन उपयोगी शिक्षा के बारे में बयां किया जाता है ताकि व्यक्ति उनकी शिक्षाएं आत्मसात कर अपना जीवन मानवता के कल्याण में लगा सके
इस अवसर मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा सभी अपने घरों व नगर चौराहा पर ताजिए सजाए गए सभी धर्मों के लोग दर्शन करते लोबान धोनी लेते वह मन्नत और दुआ मांगते नजर आए हैं!
*डी लाइट न्यू से जिला देवास
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