*ब्राह्मण की एकता से बदलेगी देश और समाज की तकदीर*
* ब्यूरो प्रभारी-बीपीमिश्र*
गोरखपुर।ब्राह्मण समाज का इतिहास भारत के वैदिक धर्म से आरंभ हुआ। वास्तव में ब्राह्मण कोई जाति नहीं,बल्कि एक वर्ण है। आज के युग में सबसे अधिक उपेक्षा अगर किसी वर्ण की हुई है तो, वह ब्राह्मण है। मौजूदा दौर में अलग-थलग पड़े ब्राह्मणों को आज एकजुट होना होगा। अपने उत्थान के लिए स्वयं संघर्ष करने के साथ-साथ धर्म व संस्कृति के पतन की रक्षा के लिए समाज को दिशाहीन होने से बचाना भी ब्राह्मण का दायित्व होना चाहिए।उक्त बातें ब्राह्मण समाज के संस्थापक प्रदीप कुमार दुबे जी ने होटल प्रगति,निकट विजय चौक, गोरखपुर में कहीं। ब्राह्मणों की अस्मिता की रक्षा व सामाजिक व्यवस्था में पिछड़ते रुतबे को पुनः कायम करने, ब्राह्मण के सभी घटकों को एक मंच पर आने का आवाहन किया। कार्यक्रम का शुभारंभ भगवान परशुराम के माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन से हुआ। बैठक में उपस्थित ब्राह्मण हित चिंतकों में वरिष्ठ महिला विंग की राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय प्रभा मिश्रा ने कहा कि विप्र समाज के उत्थान हेतु समाज में रचनात्मक एवं सृजनात्मक कार्यों कीओर अपना रुझान बढ़ाने की आवश्यकता है। हम अपने महिलाओं को रोजगार परक कार्यों से जोड़ने के लिए एक योजना तैयार कर रहे हैं। यथाशीघ्र क्रियान्वयन किया जाएगा।ब्राह्मण समाज की प्रवक्ताए बी बीईपी प्रतिमा पांडेय ने कहा कि विप्र समाज के उत्थान हेतु समाज में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गो की सहायता के लिए हम ऐसे विद्यालय स्थापित करेंगे, जिसमें आर्थिक रूप से पिछड़े बच्चों को अच्छी शिक्षा प्राप्त हो सके। इसके लिए हम पहल भी कर चुके हैं।कार्यक्रम का संचालन संध्या त्रिपाठी ने किया। उन्होंने बताया कि आज हम सब यह प्रतिज्ञा लेते हैं कि ,समाज में फैले दुराचार, अशिक्षा एवं कुरीतियों को दूर करने का प्रयास करेंगे। अपनी बहनों को स्वावलंबी बनाएंगे। हम स्वयं ही नहीं बल्कि अपने बच्चों को भारतीय संस्कृति की रक्षा करने के लिए उन्हें तत्पर करेंगे।
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