*महाकाल का ‘महानिर्णय’ लीजिए, शिवराज महारज
कोई 70 दिन चले अधिक मास के श्रावण और भादो पक्ष में उज्जैन में बाबा महाकाल की पारम्परिक सवारियों को निकालने का क्रम संपन्न हो चुका है. 10वीं और भव्य महासवारी भी 11 सितम्बर को निकाली जा चुकी है. महाकालेश्वर मंदिर में ब्रह्म मुहूर्त में प्रतिदिन होने वाली अद्भुत भस्मारती को निहारने के लिए होने वाली मगजमारी और मारामारी भी अब समाप्त हो चुकी है. अत्यधिक संख्या में श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला भी थमने की तरफ है. मध्यप्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान बार-बार सपरिवार उज्जैन आकर सब मन्नतें कर चुके हैं और इस सोमवार तो वो महाकाल महाराज को इसलिए धन्यवाद करने आ गए कि राज्य में वर्षा होने की उनकी मुराद पूरी हुई...मुद्दे की बात ये है कि श्री महाकालेश्वर के असंख्य भक्त अब उन्हीं शिवराज जी की ओर टकटकी लगाए देख रहे हैं, जो विधानसभा के ठीक पहले घोषणाओं और आश्वासनों की झड़ी लगाए हुए हैं.
लोगों के मध्य कौतूहल है कि क्या मुख्यमंत्री जी महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन के लिए थोपे गए भिन्न-भिन्न प्रकार के ‘शुल्क’ वापस लेने का ऐलान करेंगे? क्या वे भोले भंडारी के दरबार में ‘साधारण’ यानी सामान्य वर्ग के यानी थोड़ी आमदनी वाले दर्शनार्थियों और अनाप-शनाप कमाई करनवालों के बीच किए जा रहे भेदभाव की समाप्ति का कदम उठाएंगे? क्या भस्मारती दर्शन अनुमति-पत्र बनवाने के नाम पर वसूले जा रहे 200 रुपए के टैक्स पर रोक लगाई जाएगी? क्या शीघ्र दर्शन के नाम पर की जाने वाली 250 रुपए की जजिया कमाई पर प्रतिबंध लगाया जाएगा? क्या गर्भ गृह में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग पर जल चढ़ाने के नाम पर प्रति व्यक्ति 750 रुपए की काली आय को तुरंत प्रभाव से हटाया जाएगा? क्या आम श्रद्धालू को भी गर्भ गृह में जाकर महाकालेश्वर जी को पुष्प और जल इत्यादि अर्पित करने की व्यवस्था जल्द-से-जल्द कायम की जाएगी?
मुख्यमंत्री जी ने पिछले दिनों जन्माष्टमी पर अपने बंगले पर ताबड़तोड़ आयोजित पत्रकार समागम में जोर देकर कहा था कि अगली सरकार भी हम ही बनाएंगे! लेकिन क्या वे आने वाले दर्शनार्थियों को ये भरोसा दिला सकते हैं कि चुनाव जब भी हों और जो भी विजयी हो, लेकिन महाकालेश्वर मंदिर में जबरिया वसूली का जो गोरखधंधा शुरू हुआ है, उसे अविलंब दूर करेंगे? क्या वे भक्त और महाकालेश्वर के बीच की खाई को पाटेंगे! सहज, सुलभ और बिना धन दिए बाबा के दर्शन नहीं करने दिए जाने के नाम से जो सरकारी निरंकुशता हावी हो गई है और इसके चलते जो अशुभ संदेसे उज्जैन की धरती से जा रहे हैं, क्या उसका प्रभावी निराकरण वे करने जा रहे हैं?
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