*खोजे नहीं पुकारे जाते है भगवान : कथा व्यास संत विजय कौशल*
*वरिष्ठ संवाददाता-बीपीमिश्र*
गोरखपुर।बड़हलगंज हनुमानजी रामचरित मानस सुनने के रसिक हैं। हनुमानजी से क्षमतावान कोई देवता नहीं है। राम व कृष्ण को संकट से मुक्त करने का काम हनुमानजी ने किया है। हनुमानजी ने ही सीता का पता लगाया लक्ष्मणजी को संजीवनी बूटी देकर बचाया।
हनुमानजी के वजह से महाभारत के युद्ध की जीत हुई। जगत में सुख वैभव जो भी चाहिए हनुमानजी ही पूरा कर सकते हैं। बाकी कोई देवता हर सुख प्राप्त नहीं करा सकता है। हनुमानजी के पास सर्वाधिकार है। जानकीजी ने हनुमानजी को पास बैठाकर कहा था हमारा आना बार बार नहीं होगा। संभव होगा तो आएंगे और संभव नहीं होगा तो नही आएंगे। तुम्हें सबका ख्याल रखना है। तुम कभी बूढ़े नहीं होगे। तुम अजर अमर हो।
यह बातें कथा व्यास संत विजय कौशल महाराज ने कही। वे क्षेत्र के सिद्ध पीठ मदरिया पर चल रहे हनुमत महायज्ञ व हनुमत कथा के छठवें दिन उपस्थित लोगों को कथा का रसपान करा रहे थे। उन्होंने शिव पार्वती का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि शिव पार्वती घूमकर कैलाश पर्वत पर लौट आए। शंकरजी वट वृक्ष की छाया में विराजमान थे। पार्वतीजी ने संदेश दिया है कि पति से कोई बात मनवाना है तो रोज रोज नहीं कहना चाहिए। जब पति का मूड ठीक हो तब कहना चाहिए। मैं भी शंकरजी के मूड देखकर उनके पास जाकर बैठी। तो वह बहुत खुश हुए। पार्वतीजी ने शंकरजी से कहा कि हमे राम कथा सुनाइए। राम कथा के नाम पर शंकर जी खूश हो जाते हुए। माता पार्वती ने जब भगवान शंकर से मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जन्म की कथा विस्तार से सुनाने का अनुरोध किया तो भगवान शंकर ने रामजन्म का प्रसंग सुनाए। कहा कि जब हरि विष्णु ने नारद को बंदर का रूप प्रदान कर दिया तो नारद ने उन्हें श्राप दिया कि जिस प्रकार मैं पत्नी के वियोग में दुखी हूं ठीक उसी तरह पत्नी के वियोग में भटकते फिरोगे और उस समय बंदर ही आपकी मदद करेंगे। नारदजी काम, क्रोध तथा लोभ के वशीभूत हो गए थे लेकिन इसके बाद भी वह बच गए। क्योंकि काम से पीड़ित होकर भी भगवान के पास गए। क्रोध में भी भगवान को ही श्राप दिया। लोभ में भी भगवान की ओर ही भागे।भगवान कहीं खोजे नहीं जाते भगवान पुकारे जाते हैं।
तीन लोग कभी हसते नहीं हैं। भगवान की मूर्ति, सरकारी अधिकारी और बहुत पैसे वाले लोग कभी हसते नहीं हैं। चक्र चलाने वाला मार सकता है पर वंशी बजाने वाला कभी मार नहीं सकता है। वृंदावन में सभी मूर्ति पर भगवान मुरली लिए हुए हैं। जो कभी किसी को मार नहीं सकते हैं। भगवान एक ही हैं। केवल उनकी सवारियों के अनुसार उनका अलग अलग नाम हैं। भक्त जब पूरे हृदय रोम रोम से भगवान को पुकारता है तो भगवान उन्हें अवश्य मिल जाते हैं। जो भगवान के लिए पागल हो जाता है उन्हें ही भगवान मिलते हैं। साधना कभी व्यर्थ नहीं जाती है। साधना करते रहो एक दिन लक्ष्य जरूर प्राप्त होगा। महंत डा. रामजी दास, श्रीशदास, एमएलसी धर्मेंद्र सिंह, विजय यादव, अस्मिता चंद, देवेंद्र चंद, रणविजय चंद, जितेंद्र बहादुर सिंह, अश्वनी मिश्र, महेंद्र शर्मा, रामआशीष राय, विनोद शाही, आचार्य ब्रह्मानंद शुक्ल, सत्यप्रकाश यादव, डा. प्रवीण त्रिपाठी, करूणेश यादव, इंद्रेश शुक्ल, कृष्णानंद पांडेय, विजय प्रताप सिंह, सर्वेश यादव, राजेश मिश्र, अवनीश शुक्ल, विनोद शाही, संतोष मिश्र, सुबास तिवारी, फूलचंद त्रिपाठी सहित तमाम लोग मौजूद रहे।
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