*बदलते परिवेश में स्त्री शिक्षा विषयक विशिष्ट व्याख्यान का हुआ आयोजन*
*वरिष्ठ संवाददाता-बीपीमिश्र*
गोरखपुर।गंगोत्री देवी महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राचीन इतिहास विभाग द्वारा बदलते परिवेश में स्त्री शिक्षा विषयक विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम मे मुख्य वक्ता दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास पुरातत्त्व एवं संस्कृति विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर कैप्टन दिग्विजयनाथ मौर्य, मुख्य अतिथि महाविद्यालय की संरक्षिका श्रीमती रीना त्रिपाठी, अध्यक्षता महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ पूनम शुक्ल ने किया। विषय प्रवर्तन महाविद्यालय के व्यवस्थापक आशुतोष मिश्र ने व संचालन महाविद्यालय की प्रकवक्ता डॉ कामिनी सिंह ने किया। आभार ज्ञापन डॉ संगीता पांडेय ने किया।कार्यक्रम मे मुख्य वक्ता प्रोफेसर दिग्विजय मौर्य ने कहा कि बदलती भूमिका में नारी विविध क्षेत्रों में रोल मॉडल का कार्य कर रही है। आज महिलाएं परिवार के साथ समाज और देश का नेतृत्व कर रही हैं। नारी त्याग और आत्मबल के दम पर विश्वास जीतती है। नारी दोहरी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए दो परिवारों का ध्यान रखती है। यह दुनिया पल-पल बदलती रहती है और नारियों को भी स्वयं को मौजूदा परिस्थितियों के अनुसार लगातार बदलते रहना होगा। मुख्य अतिथि श्रीमती रीना त्रिपाठी ने कहा कि बदलते समय सन्दर्भ के साथ भारतीय समाज में नारी के व्यक्तित्व का विकास साहित्य का विषय बनते रहा है। नारी जागरण, नारी मुक्ति आन्दोलन और नारी सशक्तिकरण आदि ने भारतीय समाज की जड़ता को झकझोर कर रख दिया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य डॉ पूनम शुक्ला ने कहा कि बदलते हुए सामाजिक सन्दर्भों का ही परिणाम है कि नारी आज मानवतावादी मूल्य भावनाशील दृष्टि और सामाजिक सम्पन्नता की कसौटी पर परखा जाता है। हिन्दी कथा साहित्य ने नारी के बदलते स्वरूप के उस पक्ष को सामने रखा है जिसमें उसकी समझ और संवेदना की प्रधानता है। समझ और जागरूकता ने उसे निर्णय की साझेदारी तक पहुँचाया है, तो संवेदना ने इसे व्यापकता दी है। महाविद्याल के व्यवस्थापक आशुतोष मिश्र ने कहा कि वैदिक काल की महिलाएं शिक्षित होती थीं। मध्यकाल में स्त्रियों की शिक्षा में गिरावट आई। नारियों को पर्दे के पीछे कैद कर दिया गया। इसके बावजूद अनेक नारियों ने संघर्ष करते हुए राजनीति, साहित्य, शिक्षा और धर्म के क्षेत्र में विशिष्ट उपलब्धियां अर्जित कर सम्मान पाया। अंग्रेजी राज में नारियों की शिक्षा की स्थिति में धीमी गति से सुधार आना आरंभ हुआ। नारियों को शिक्षा पाने का अवसर मिला।
बदलते परिवेश की वजह से महिलाओं में अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता आई और विभिन्न आन्दोलनों का सहारा लेकर अपने अधिकारों को लिया।
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