**नवरात्रि के अष्टमी पर्व पर मंदिर परिसरों में स्वच्छता अभियान का आयोजन*।
महिलाए समाज का स्तंभ-ओमप्रकाश सिंह
गोरखपुर । दिग्विजयनाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय, के राष्ट्रीय सेवा योजना के चारों इकाईयों द्वारा महाराणा प्रताप, सुभाष, गोरखनाथ एवं मीराबाई इकाई के विशेष सप्तदिवसीय शिविर के छठवें दिन प्रार्थना सभा के पश्चात नवरात्र पर्व के अष्टमी के अवसर महाराणा प्रताप इकाई के स्वयं सेविकाएं मंगला देवी मन्दिर बेतियाहाता, सुभाष इकाई के स्वयं सेवक/स्वयं सेविकाएं हनुमान मन्दिर बेतियाहाता, मीराबाई इकाई की स्वयं सेविकाएं काली मन्दिर दाउदपुर एवं गोरखनाथ इकाई के स्वयं सेवक/स्वयं सेविकाएं काली मन्दिर गोलघर, गोरखपुर में स्वच्छता अभियान चलाकर मन्दिर एवं मन्दिर परिसरों को स्वच्छ एवं सुन्दर बनाने का सार्थक पहल किया। साथ ही साथ श्रद्धालुओं को दर्शन कराने में पंक्तिबद्ध कराकर मन्दिर प्रशासन का सहयोग प्रदान किये। आर्थिक स्थिति से कमजोर विपन्न लोगों को प्रसाद वितरण कर एवं जागरूक करने का सफल कार्य किया। प्रथम सत्र में स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत विषय पर क्विज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें 105 स्वयं सेवक/स्वयं सेविकाओं ने प्रतिभाग किया। जिसमें प्रथम स्थान पर बिपिन जायसवाल बी.काम.द्वितीय सुभाष इकाई, द्वितीय स्थान सिमरन राय बी.एससी.बायो गोरखनाथ इकाई, तृतीय स्थान मुस्कान राय बी.ए. मीराबाई इकाई ने प्राप्त किया। द्वितीय बौद्धिक अपराह्न सत्र में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. ओम प्रकाश सिंह जी ने कहा कि निःसन्देह महिलाएं किसी भी समाज का स्तम्भ होती हैं वह प्रतिदिन भिन्न-भिन्न भूमिकाओं का निर्वहन करती हैं, महिलाएं सहृदय बेटियां, संवेदनशील माताएं, सक्षम सहयोगी और अन्य कई भूमिकाओं को बड़ी कुशलता व सौम्यता से निर्वहन करती हैं। लेकिन वर्तमान समय में भी दुनिया के कई हिस्सों में समाज उनकी भूमिका को नजर अंदाज करता है इसके चलते महिलाओं को बड़े पैमाने पर उत्पीड़न, वित्तीय निर्भरता और समानता एवं अन्य सामाजिक बुराईयों का खामियाजा भुगतना पड़ता है। सदियों से ये बन्धन महिलाओं को पेशेवर व व्यक्तिगत उचांइयों को प्राप्त करने से रोकता रहा है। स्वयं सेवक/स्वयं सेविकाओं को इस अवसर पर आह्वान करते हुए कहा कि समाज में बदलाव लाना ही होगा अगर आप अपने अन्दर आत्मग्लानि का भाव पैदा करते रहेंगे तो बदलाव नही ला पायेंगे। अतः इस सोच को बदलकर आगे बढ़ना ही होगा। महाविद्यालय के मुख्य नियन्ता प्रो. धीरेन्द्र सिंह ने इस अवसर पर कहा कि शिक्षा जीवन में प्रगति करने का एक शक्तिशाली उपकरण है। महिलाओं के उत्थान व सशक्तिकरण के लिए शिक्षा से बेहतर तरीका और कोई हो ही नही सकता। आप अपने विभिन्न आयामों के माध्यम से आर्ट ऑफ लिविंग से, बालिकाओं और महिलाओं को स्तरीय शिक्षा के माध्यम से, ग्रामीण भारत के दूरस्थ कोनों में भी समान रूप से सशक्त करके नारी को सशक्त बना सकते हैं। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी डॉ. संजय कुमार त्रिपाठी द्वारा किया गया एवं आभार ज्ञापन कार्यक्रम अधिकारी डॉ. पीयूष कुमार सिंह द्वारा किया गया। पूरे कार्यक्रम में सक्रिय भूमिका में कार्यक्रम अधिकारी डॉ. निधि राय एवं कार्यक्रम अधिकारी डॉ. प्रदीप कुमार यादव जी की रही। इस अवसर पर महाविद्यालय के शिक्षक डॉ. विवेक शाही, डॉ. धर्मचन्द्र विश्वकर्मा, डॉ. इन्द्रेश पाण्डेय, डॉ. अखण्ड प्रताप सिंह, श्री अजय शर्मा, श्री अश्वनी श्रीवास्तव, श्री शुभम, श्रीमती अंजलि सिंह, स्वयं सेवक में मुख्य रूप से छत्रसाल सिंह, आयुषी शरन सिंह, साक्षी तिवारी, खुशी राव सहित स्वयं सेवक/स्वयं सेविकाएं उपस्थित रहे।संवाद-सूत्र सुनील त्रिपाठी की रिपोर्ट
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