*योग साधना द्वारा निरोगी जीवनऔर व्यक्तित्व का विकास। मुख्य वक्ता- राजेश श्रीवास्तव*
*वरिष्ठ संवाददाता-बीपीमिश्र*
गोरखपुर। दिग्विजयनाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गोरखपुर के राष्ट्रीय सेवा योजना के चारों इकाईयों द्वारा महाराणा प्रताप, सुभाष, गोरखनाथ एवं मीराबाई इकाई के विशेष सप्तदिवसीय शिविर के चौथे दिन प्रार्थना सभा, राष्ट्रीय सेवा योजना का लक्ष्य गीत, संकल्प गीत के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। इसके उपरान्त सहज योग कार्यक्रम के अवसर पर मुख्य वक्ता श्री राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि सहज योग की ध्यान पद्धति से ध्यान कर व्यक्ति सारी समस्याओं से विजय प्राप्त कर सकता है। इन्होंने यह भी बताया कि स्वयं सेवक/स्वयं सेविका इस पद्धति को अपनाकर अपने व्यक्तित्व का विकास कर सकते है। विशिष्ट वक्ता श्री नीरज स्वरूप ने भी मनुष्य के अन्दर स्थिर चक्रों एवं नाड़ियों के बारे में विस्तार से बताया। इस कार्यक्रम में डॉ. सुभाष कुमार गुप्ता, श्री विजय रजत भी ध्यान पद्धति की प्रासंगिकता को बताया। शिविर के चौथे दिन महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. ओम प्रकाश सिंह एवं मुख्य नियन्ता प्रो. धीरेन्द्र सिंह द्वारा शिविर का औचक निरीक्षण किया गया। शिविरार्थियों के साथ अपने स्थान पर बैठकर उपस्थित सभी प्राध्यापकों के साथ सहज योग किया। प्राचार्य जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि इस योग की परम्परा ऋषि-मुनियों के समय से चली आ रही है। इस पद्धति को अपनाकर अपने चक्रों एवं नाड़ियों को संतुलित करके निरोगी जीवन व्यतीत कर सकते हैं। दूसरे सत्र में पोस्टर/स्लोगन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कुल 29 स्वयं सेवक/स्वयं सेविकाओं ने प्रतिभाग किया। जिसमें प्रथम स्थान शिखा त्रिपाठी एम.काम. प्रथम, सुभाष इकाई, द्वितीय स्थान पर सिमरन राय, बी.काम द्वितीय, गोरखनाथ इकाई, तृतीय स्थान श्वेता कुमारी, बी.काम. प्रथम, महाराणा प्रताप इकाई एवं सांत्वना अंजलि दूबे, बी.काम. द्वितीय, महाराणा प्रताप इकाई, अंकिता विश्वकर्मा, बी.काम. प्रथम, महाराणा प्रताप इकाई को प्राप्त हुआ। बौद्धिक सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. जितेन्द्र पाण्डेय, सहायक आचार्य, भूगोल विभाग, दिग्विजयनाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गोरखपुर अपने उद्धबोधन में कहा कि पर्यावरण संरक्षण के अन्तर्गत जल, वायु, पेड़, पौधे, पर्वत, प्राकृतिक सम्पदा आदि सभी आते हैं। वर्तमान समय में ग्लोबल वार्मिंग के कारण विकसित, विकासशील देशों के सम्मुख खतरे उत्पन्न हो गये हैं। ऐसे में हमें पर्यावरण का ध्यान हर प्रत्येक व्यक्ति को कर्तव्य एवं दायित्व मानकर निर्वहन करना होगा। पर्यावरण प्रदूषण के कुछ दूरगामी दुष्प्रभाव हैं, जो अतिघातक हैं जैसे आणविक विस्फोटो से उत्पन्न रेडियो धार्मिता का आनुवांशिक प्रभाव, वायुमण्डल का तापमान बढ़ना, ओजोन प्रति की हानि, भूरक्षण आदि को रोकने के कारगर उपाय करने होंगे। आप एक जागरूक स्वयं सेवक/स्वयं सेविका के रूप में पर्यावरण की सुरक्षा के विषय में जनता के साथ मीटिंग करके जागरूक कर सकते है। पौधरोपण का विशेष अभियान चलाकर ग्लोबल वार्मिंग को रोकते हुए पर्यावरण संरक्षण कर सकते हैं। पर्यावरण सुरक्षा से सम्बन्धित सूचना को जन चेतना के माध्यम से जनता को जागरूक करके संरक्षण कर सकते है।
कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी डॉ. संजय कुमार त्रिपाठी द्वारा किया गया एवं आभार ज्ञापन कार्यक्रम अधिकारी डॉ. निधि राय द्वारा किया गया। पूरे कार्यक्रम में सक्रिय भूमिका में कार्यक्रम अधिकारी डॉ. पीयूष कुमार सिंह एवं कार्यक्रम अधिकारी डॉ. प्रदीप कुमार यादव जी की रही। इस अवसर पर महाविद्यालय के शिक्षक डॉ. विवेक शाही, डॉ. श्याम सिंह, डॉ. त्रिभुवन मिश्रा, डॉ. अखण्ड प्रताप सिंह, डॉ. सुनील कुमार सिंह, श्री अजय शर्मा, श्री अश्वनी श्रीवास्तव, स्वयं सेवक में मुख्य रूप से बिपिन जायसवाल, छत्रसाल सिंह, सत्येन्द्र यादव, आयुषी शरन सिंह, साक्षी तिवारी, खुशी राव सहित स्वयं सेवक/स्वयं सेविकाएं उपस्थित रहे।संवाद सूत्र सुनील मणि त्रिपाठी की रिपोर्ट।
Comments
Post a Comment