*दुखों से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करती है बौद्ध परंपरा- डा.विकास सिंह*
*वरिष्ठ संवाददाता-बीपीमिश्र*
गोरखपुर।प्राचीन काल से ही भारत वर्ष में ज्ञान की तीन परंपराएं प्रचलित हैं- सनातन परंपरा ,बौद्ध परंपरा, एवं जैन परंपरा ।बौद्ध परंपरा के प्रवर्तक गौतम बुद्ध जिन्हें शाक्यमुनि भी कहा जाता है, ने दुख मुक्ति मार्ग की खोज हेतु अपना घर परिवार त्याग दिया तथा कठिन तपस्या के द्वारा ज्ञान प्राप्त किया ।इस ज्ञान को सभी के लिए सुलभ बनाने हेतु उन्होंने अपना पहला उद्बोधन सारनाथ नामक स्थान पर दिया जिसे धर्म चक्र प्रवर्तन के नाम से जाना जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आषाढ़ पूर्णिमा के दिन बौद्ध मतावलंबी मंगोलिया के प्रधानमंत्री को मुख्य अतिथि के रूप में निमंत्रित किया तथा धर्म चक्र प्रवर्तन को वैश्विक स्तर पर मान्यता प्रदान करने की ओर अग्रसर हुए। बौद्ध परंपरा के अंतर्गत गुरु के उत्तरदायित्व, शिष्य के उत्तरदायित्व ,सर्व सुलभ शिक्षा, अंतर्राष्ट्रीयता की भावना आदि वर्तमान समय में भी अत्यंत ही प्रासंगिक हैं। उक्त बातें दिग्विजय नाथ स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गोरखपुर के शिक्षाशास्त्र विभाग के तत्वावधान में आयोजित ' भारतीय ज्ञान परंपरा के अंतर्गत बौद्ध शिक्षा' विषय पर आयोजित विशिष्ट व्याख्यान के अंतर्गत मुख्य वक्ता डॉ विकास सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर एवं अध्यक्ष ,संस्कृत विभाग, मारवाड़ी महाविद्यालय, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा, बिहार ने मुख्य वक्ता के तौर पर कही । अध्यक्षीय उद्बोधन में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर ओमप्रकाश सिंह ने कहा कि ज्ञान परंपरा और भारत एक दूसरे के पूरक हैं।मां का अर्थ ज्ञान तथा रत का अर्थ लीन रहना होता है। भारतवर्ष की संस्कृति ज्ञान में लीन रहने की है ।भारतवर्ष वह भूखंड है जहां जन-जन ज्ञान की खोज में तल्लीन रहता है ।हमारे देश में प्राचीन काल से ही विश्वविद्यालयों की एक लंबी श्रृंखला रही है तक्षशिला ,नालंदा, जगदल्ला, औदन्तपुरी, विक्रमशिला आदि विश्वविद्यालयों में उत्पन्न ज्ञान के वट -वृक्ष द्वारा भारत ने जगद्गुरु का स्थान प्राप्त किया था। प्राचीन विश्वविद्यालय जिस प्रकार छात्र का सर्वांगीण विकास करते थे ,नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भी उसी प्रकार के मूल्य आधारित विकास की बात करती है। इस कार्यक्रम का संचालन रुक्मणी चौधरी ने किया। कार्यक्रम की प्रस्ताविकी विभागाध्यक्ष डॉ निधि राय ने तथा आभार ज्ञापन डॉ अखंड प्रताप सिंह ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के मुख्य नियंता प्रो धीरेंद्र प्रताप सिंह, डॉ विवेक शाही, डॉ श्याम सिंह, डॉ त्रिभुवन मिश्र ,डॉ संजय कुमार त्रिपाठी तथा अन्य सभी शिक्षकों सहित विभाग के समस्त विद्यार्थी उपस्थित रहे।संवादसूत्र सुनील मणि त्रिपाठी की रिपोर्ट ।
Comments
Post a Comment