प्रेस विज्ञप्ति
सभी विद्यालयों को पूर्णतः सुगम्य बनाने पर ही दिव्यांजनों का समावेषन संभव। पद्म श्री डाॅ0 उमा तुली
दिव्यांगजनों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए षिक्षा ही उत्तम विकल्प है। जिसके लिए समावेषी षिक्षा सबसे बड़ा अस्त्र है। दिव्यांगजनों की समावेषी षिक्षा हेतु समाज में जागरूकता बढ़ाने के लिए सी.आर.सी. गोरखपुर ने वेबिनार श्रृंखला की 58 वीं कड़ी का आयोजन किया। पद्म श्री डाॅ0 उमा तुली, संस्थापक सदस्य एवं प्रबंध सचिव, अमर ज्योति चैरिटेबल ट्रस्ट नई दिल्ली एवं भूतपूर्व मुख्य दिव्यांगजन आयुक्त, भारत सरकार, बतौर मुख्य अतिथि कार्यक्रम को संबोधित कर रही थी। समावेषन के आधार भूत पहलुओं की चर्चा करते हुए डाॅ0 तुली ने कहा कि जब तक सभी स्कूल भवन दिव्यांगजनों के पहंुचने लायक नहीं होगें तब तक सम्पूर्ण समावेषन संभव नहीं होगा। समावेषन तभी संभव होगा जब सभी दिव्यांगता वाले बच्चों को स्कूल उनकी दिव्यांगता के साथ स्वीकार करेेगें और उनके लिए भवन की संरचना में आमूल-चूल परिवर्तन करेगें। जिससे कोई भी दिव्यांजन स्कूल के षौचालय, पुस्तकालय, सभा भवन और खेल के मैदान आदि का प्रयोग आसानी से कर सके।
सी.आर.सी. के निदेषक श्री रमेष कुमार पान्डेय जी ने समावेषी षिक्षा के योगदान में डाॅ0 तुली के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि एक समावेषी समाज के निर्माण में मैडम द्वारा सुझाए गये सभी सुझााव प्रासंगिक है तथा पूर्वी उत्तर प्रदेष क्या पूरे भारत वर्श में समावेषन में एक नई षुरूआत अवष्य होगी। श्री पान्डेय जी ने मुख्य अतिथि तथा सभी प्रतिभागियों के प्रति धन्यवाद भी ज्ञापित किया।
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