प्रेस विज्ञप्ति
सी.आर.सी. में आयोजित “मांसपेषीय दुश्पोशण दिव्यांगता के मूल्यांकन एवं प्रमाणन हेतु दिषा निर्देष“ विशय पर आॅन-लाइन संगोश्ठी के साथ सम्पन्न हुयी गति विशयक दिव्यांगता की श्रुंखला।
गति विशयक दिव्यांगता पर जागरूकता फैलाने के लिए सी.आर.सी. गोरखपुर ने छः कार्यक्रमों की एक श्रृंखला का आयोजन किया। जिससे अभिभावकों को गति विशयक दिव्यांगता में प्रमाणन एवं मूल्यांकन की जानकारी हो सके। सी.आर.सी. गोरखपुर की वेविनार श्रृंखला की 62वीं कड़ी में आज मांसपेषीय दुश्पोशण दिव्यांगता के प्रमाणन एवं मूल्यांकन की जानकारी दी गयी। आज के मुख्य अतिथि, राश्ट्रीय दृश्टि दिव्यांग जन सषक्तीकरण संस्थान, देहरादून के निदेषक श्री हिमांग्षु दास ने कार्यक्रम के सफलता की षुभकामना दी।
तकनीकि सत्र में बोलते हुए सी.आर.सी. गोरखपुर के व्यावसायिक चिकित्सा विभाग के प्रवक्ता श्री अमित कुमार कच्छप ने मांसपेषीय दुश्पोशण दिव्यांगता की पहचान तथा होने के कारणों के बारे में जानकारी प्रदान की उन्होंने कहा कि यह डिस्टाªफिन नामक प्रोटीन की कमी के कारण होता है इससे ग्रसित व्यक्ति को फिजियोथरेपी आदि कराते रहना चाहिए।
कार्यक्रम समन्यवक श्री विजय गुप्ता ने बताया कि मांसपेषीय दुश्पोशण दिव्यांगता के मूल्यांकन तथा प्रमाणन में मांस पेषियों की कमजोरी, जोड़ों की गति षीलता, स्केलियोसिस एवं हृदय क्षमता के आधार पर किया जाता है तथा प्रत्येक दो साल बाद पुनः मूल्यांकन होता है। उन्होंने कहा कि 40 प्रतिषत दिव्यांगता वाले ही बेंच मार्क दिव्यांगता की श्रेणी में आते हैं और वह प्रमाण-पत्र बनवा कर सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं।
कार्यक्रम का आयोजन सी.आर.सी. के निदेषक श्री रमेष कुमार पान्डेय जी की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ।
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